Negative Thoughts से दूर रह सकते हैं

नकारात्मक सोच या नेगेटिव थिंकिंग (Negative Thinking) के कारण मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक तौर पर भी दिक्कतें महसूस होती हैं. इससे एंजाइटी, डिप्रेशन और स्ट्रेस जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है. इससे रिश्ते बहुत जल्दी बिगड़ते हैं क्योंकि आप किसी बात को जरूरत से ज्यादा सोचकर वहां भी परेशानी ढूंढ निकालते हैं जहां परेशानी की कोई बात शायद ना हो.

हम सभी के सोचने का अलग-अलग तरीका है, कोई हर किसी स्थिति में सकारात्मक ही रहता है तो कोई हर समय नेगेटिव बातें करता हुआ या फिर नेगेटिव ख्यालों में उलझा हुआ दिखाई पड़ता है. अगर आप दूसरे तरह के लोग हैं तो आप यह अच्छी तरह समझते होंगे कि नेगेटिव ख्याल (Negative Thoughts) किस तरह हमारे जीवन को, हर छोटे और बड़े फैसले को, यहां तक कि हमारे रिश्तों को भी किस तरह प्रभावित करते हैं.

  • एक ही बात को बार-बार सोचने के बजाए एकबार सोचें और खुद से पूछें कि क्या सोचने भर से परेशानी दूर हो जाएगी. 
  • अपने किसी करीबी दोस्त से बात करके देखें. जो ख्याल आपको परेशान कर रहे हैं उसके बारे में बात करें और फिर अपने मन से निकाल दें ताकि आप बार-बार इन्हीं ख्यालों में ना उलझे रहें. 
  • नकारात्मकता को सकारात्मकता (Positivity) से काटने की कोशिश करें. जब भी कुछ नकारात्मक महसूस हो तो कुछ सकारात्मक सोचें. 
  • वो काम करें जो आपको खुशी देते हैं. जितना ज्यादा आप खुश रहेंगे उतने ही नेगेटिव ख्याल से दूर रह पाएंगे. 
  • सोचने के बजाय लिखने की कोशिश करें. मन से ख्याल कागज पर निकलेंगे तो दिमाग में घूमते नहीं रहेंगे. 
  • अगर आपको लगता है कि कोई काम या कोई व्यक्ति आपके नेगेटिव ख्यालों का कारण बन रहा है तो दूरी बनाने लगें. जितना आप नेगेटिव ख्यालों और नेगेटिव लोगों से दूर रहेंगे उतना ही आप सकारात्मकता के करीब आएंगे. 

अगर आप बहुत जल्दी फैसले ले लेते हैं और ज्यादातर ये फैसले आपके लिए ही नुकसानदायक होते हैं, अगर आप किसी भी बुरी बात को लगातार और बार-बार सोचते रहते हैं, कोई बात आपको सोते और जागते हुए परेशान करने लगती है तो हो सकता है आपकी सोच भी नकारात्मक है.