राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा कैसे मिलता है ?
दरअसल इसके लिए केंद्रीय चुनाव आयोग के नियम 1968 का पालन किया जाता है. जिसके मुताबिक किसी पार्टी को राष्ट्रीय दल का दर्जा हासिल करने के लिए चार या उससे ज़्यादा राज्यों में लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव लड़ना होता है. इसके साथ ही इन चुनावों में उस पार्टी को कम से कम छह प्रतिशत वोट हासिल करने होते हैं. आयोग द्वारा दलों को प्रदान की गई मान्यता उनके लिये कुछ विशेषाधिकारों के अधिकार का निर्धारण करती है,
देश में तीन तरह की पार्टियां हैं। राष्ट्रीय, राज्य स्तरीय और क्षेत्रीय पार्टियां। संविधान में किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा देने के लिए कुछ शर्तें रखी गई हैं। अगर कोई पार्टी इन शर्तों को पूरा करता है तो उस पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा मिल जाता है।
पहली शर्त- अगर कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में कम-से-कम 4 राज्यों में 6 फीसदी वोट हासिल करती है तो उसे राष्ट्रीय दल माना जाता है।
दूसरी शर्त- अगर किसी पार्टी को 4 राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा प्राप्त है तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल जाता है।
तीसरी शर्त- अगर कोई पार्टी लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम-से-कम तीन राज्यों में जीतती है तो उसे राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल जाता है।
अब हमारे देश में कुल छह राष्ट्रीय पार्टियां हैं- कांग्रेस(INC), भारतीय जनता पार्टी (BJP), बहुजन समाज पार्टी (BSP) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPIM), नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और आम आदमी पार्टी (AAP)।
राष्ट्रीय दल का दर्जा मिलने से कुछ फायदे भी दल को मिलते हैं। जैसे- राष्ट्रीय पार्टियां अपना सिंबल या चुनाव चिन्ह देशभर में सुरक्षित कर सकती हैं। राष्ट्रीय पार्टियों को नेशनल मीडिया पर फ्री एयरटाइम मिल जाता है। साथ ही राष्ट्रीय पार्टियां चुनाव प्रचार के लिए अधिकतम 40 स्टार प्रचारक रख सकती हैं।
इनके यात्रा खर्च को उम्मीदवार के चुनाव खर्च में नहीं रखा जाता है। राष्ट्रीय पार्टियों को नामांकन दाखिल करने के लिए केवल एक प्रस्तावक की जरूरत होता है। अन्य पार्टियों को दो प्रस्तावक चाहिए।